एक सिटी और चुटकी की आवाज सुनते ही 400 पशु पक्षी आ जाते हैं। पक्षियों के निवास हेतु घर में बढ़ हाउस का निर्माण किया गया है। उन्हें अनाज-पानी दिया जाता है। अब पक्षियां फैमिलियर हो चुके हैं। 47 साल के सतीश बैरागी पशु और पक्षियों से प्रेम के चलते लोगों के जुबान पर है।

चित्तौड़गढ़ के मधुबन के रहने वाले सतीश बैरागी बताते हैं कि वर्ष 2018 में उनका घर बना था। जब यहां रहने लगे तो दो पक्षी का आवागमन शुरू हुआ था। तब उन्हें केवल दाना डालकर अपने फोटो स्टूडियो चले जाते थे। लॉकडाउन के दौरान दो साल सबको घर बैठना पड़ा तब उन्होंने खुद अपने हाथों से दाना खिलाना शुरू किया। अब ये पक्षियां फैमिलियर हो चुके हैं।

धीरे-धीरे पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी होती गई और एनिमल्स भी आने लगे। अब सुबह और शाम सतीश बैरागी व उनकी पूरी फैमिली सबको अपने हाथों से दाना खिलाते हैं। वे कहते हैं कि लॉकडाउन में उन्हें प्रकृति के और अधिक पास ला दिया है।

सतीश बताते हैं कि वर्षा के दिनों में पक्षियों को भीगते हुए देखे हैं। बारिश के वजह से दाने भी जाते थे लिहाजा उन्होंने सबसे पहले टीन शेड का निर्माण कराया ताकि उनका खाना खराब नहीं हो। ठंड में राहत मिले इसके लिए बर्ड्स हाउस का निर्माण करवाया। उन्होंने अब तक तकरीबन 35 बर्ड्स हाउस बनवा दिए है जहां पक्षियां रह रही है।
पहले तो पक्षियां परिंडो में ही रखें दाना खाती थी। लेकिन धीरे-धीरे बैरागी फैमिली से फैमिलियर और होते गए। सतीश के अलावा उनकी पत्नी तारा वैष्णव, मां सुमित्रा देवी और बेटा तनय बैरागी से सब जुड़ चुके हैं। सतीश कहते हैं कि अब तो केवल चुटकी बजाने या फिर सीटी बजाने से पक्षियां आ जाती हैं।