जीआई टैग की बात करें तो जीआई टैग की शुरुआत 1999 में हुई थी जब 1999 में इसके लिए कानून पास किया गया था आपको बता दूं कि वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक जियोग्राफी इंडिकेशन टैग एक प्रकार का लेवल होता है जिसे किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है इसी बीच अब बिहार के कोड उत्पाद को जीआई टैग मिल चुका है।
आपको बता दूं कि बिहार के प्रसिद्ध मिथिला का मखाना को अब जीआई टैग मिला है बिहार के मिथिला में एक कहावत मशहूर है पग पोखरी, माछ मखान उधर केंद्र सरकार ने मिथिला के मखाना को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग दे दिया है। आपको बता दूं कि इस टैग के मिलने के बाद किसानों में खुशी की लहर है उसके अलावा इस टैग के मिलने के बाद में मखाना उत्पादकों को अब उनके उत्पाद का और भी बेहतर दाम मिल पाएगा।
आपको बता दूं कि मिथिला का मखाना अपने आप में बेहद ही खास इसलिए भी है क्योंकि यह मखाना बेहद ही पोषक तत्वों से भरपूर है और बेहद स्वादिष्ट है आपको बता दूं कि इससे पहले भी बिहार के कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है जिसमें मधुबनी पेंटिंग, कतरनी चावल, मगही पान, सिलाव का खाजा और मुजफ्फरपुर की लीची भागलपुर के जर्दालू आम सहित कई उत्पाद को जीआई टैग मिला है।
आपको बता दूं कि इन सभी की जानकारी खुद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्विटर के जरिए ट्वीट करके दी है जहां पर उन्होंने बताया है कि जीआई टैग से पंजीकृत हुआ मिथिला का मखाना किसान को मिलेगा लाभ और आसान होगी कमाना इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी लिखा की पर्व के सीजन में मिथिला मखाना को जीआई टैग मिलने से बिहार के बाहर भी लोग श्रद्धा भाव से इस शुभ मखना का प्रयोग कर पाएंगे।