बिहार में नदियों की कोई कमी नहीं है, वहीं दूसरी तरफ इन नदियों की वजह से बिहार के कई जिलों में बाढ़ की समसयाओ का सामना करना परता है। दूसरी तरफ अब इन्हीं बाढ़ की समस्या से निजात दिलाने के लिए और सूखा की समस्या से निजात दिलाने के लिए नदी को नदी से जोड़ने की परियोजना पर काम जल्द ही शुरू किया जाएगा।
आपको बता दूं कि मानसून के समय में बिहार के लगभग सभी नदियों में जलस्तर बढ़ जाती है। वही गर्मी की समय में कुछ नदियों में भी जलस्तर में तेज़ी से कमी होती है, कोई कही पर कई नदियों में ज्यादा पानी होती है और कुछ नदियों में बिल्कुल पानी नहीं होती है, इसी समस्या को दूर करने के लिए नदी को नदी से जोड़ने की योजना पर काम शुरू किया जाएगा।
आपको बता दूं कि बिहार में आधा दर्जन नदी जोड़ परियोजना का काम करने की तैयारी अब शुरू गई है, इसमें बड़ी नदियों में बड़ी नदियों में कोसी-मेची लिंक, सकरी-नाटा परियोजना, बागमती-गंगा लिंक, बागमती (बेलवाधार)-बूढ़ी गंडक लिंक, बूढ़ी गंडक नून वाया गंगा लिंक और कोसी-गंगा लिंक योजना शामिल हैं. इसके साथ कुछ और नदियां हैं जिन्हें एक दूसरे से जुड़ने के लिए अभी फिलहाल काम किए जाएंगे। उत्तर बिहार में बागमती, कमला और कोसी बेसिन सहित दक्षिण बिहार में पुनपुन, किऊल-हरोहर बेसिन में छोटी नदियों को जोड़ने और उससे होने वाले फायदे की संभावनाओं का पता लगा रही है।
वही इन नदि को जोड़ने के परियोजना पर काम करने के लिए राज्य में कोसी-मेची लिंक परियोजना की वर्किंग डीपीआर बनाने के लिए राज्य सरकार ने नेशनल वाटर डेवलमेंट एजेंसी से अनुराेध किया है राज्य सरकार केंद्र सरकार से 90% खर्च करने की मांग की है। आपको बता दूं की इन परयोजना को पूरा होने से करीब करीब दो लाख 14 हजार 812 हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी इससे किसानों की आर्थिक स्थिति पहले से और भी बेहतर हो जाएगी, तस्वीर काल्पनिक।