पिता थे बर्तन दुकानदार लेकिन बेटे ने मेहनत से यूपीएससी में प्राप्त किया ऑल इंडिया 38वां रैंक

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भारत में सबसे मुश्किल प्रतियोगी परीक्षा की बात की जाए तो इसमें यूपीएससी का नाम सबसे पहले आता है। इस परीक्षा को पास करने के लिए आपके पास ज्ञान के साथ-साथ धैर्य की भी पर्याप्त मात्रा में आवश्यकता होती है क्योंकि कभी कबार लोग लगातार प्रयास करने के बाद भी सफलता नहीं प्राप्त कर पाते।

इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसे अभ्यर्थी की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने बहुत मुश्किल समय देखा। जिनके पिता एक साधारण से परिवार से आते थे और वह बर्तन की दुकान लगाते थे। अपने मेहनत और परिश्रम के दम पर इस अभ्यर्थी ने ना सिर्फ इस परीक्षा में सफलता पाई बल्कि पूरे भारत में 38 वां रैंक लाकर अपने परिवार के साथ साथ अपने जिले और राज्य का नाम भी रोशन किया।

झारखंड के इस लाल ने किया कमाल, यूपीएससी में प्राप्त किया ऑल इंडिया 38वां रैंक

बता दें कि भारत के झारखंड राज्य से आने वाले रवि कुमार एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते थे। उनके पिता बरतन का दुकान लगाते थे। बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी रवि ने अपने परिश्रम और धैर्य से इस बड़ी परीक्षा में सफलता पाई है। बता दें कि रवि मूल रूप से झारखंड के गिरिडीह जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वही से पूरी की और उसके बाद इंजीनियरिंग की तैयारी की। इंजीनियरिंग की तैयारी करने के बाद उनका दाखिला आईएसएम धनबाद में हो गया, जहां से उन्होंने बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।

आर्थिक तंगी के कारण टाटा मोटर्स में काम करते हुए की पढ़ाई

रवि बताते हैं कि वह एक बहुत ही मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। उनके पिता बरतन का दुकान लगाकर बहुत कठिनाई से उनके तथा उनके परिवार का पालन पोषण किया करते थे ऐसे में इस परीक्षा की तैयारी के लिए जरूरी रुपयों को मद्देनजर रखते हुए उन्होंने पढ़ाई करने के साथ-साथ टाटा मोटर्स में काम करना शुरू किया और पाई पाई इकट्ठा कर अपनी तैयारी को बेहतर बनाने के लिए देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ओर चल पड़े।

पहली बार में हुए असफल पर लगातार मेहनत में दिलाई 38वी रैंक

बताया जाता है कि रवि ने जब पहली बार इस परीक्षा को दिया तो उनसे प्रारंभिक परीक्षा जिसे आमतौर पर पीटी कहा जाता है उसमें भी असफलता प्राप्त हुई। पहले बार में मिली हार से रवि थोड़े से निराश हुए पर अपने दोस्तों और परिवार का साथ पाकर हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में रवि ने अपार सफलता प्राप्त करते हुए 38वीं प्राप्त किया। बता दें कि उनके पिता आज भी झारखंड में एक मामूली बर्तन दुकानदार है लेकिन अपने परिश्रम और धैर्य के कारन रवि कुमार ने आज सफलता का यह मुकाम प्राप्त किया जो इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं अभ्यर्थियों के लिए एक मार्गदर्शन है।