टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली की दुनिया भर में तगड़ी फैन फॉलोइंग हैं। यह धाकड़ बल्लेबाज क्रिकेट की दुनिया में अपनी क्लासिकल बल्लेबाजी के लिए जाना जाता है। कोहली से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं, लेकिन एक कहानी ऐसी भी है जिसने फैंस को भावुक होने पर मजबूर कर दिया था। जिस बल्लेबाज के सामने दुनिया का बड़ा से बड़ा गेंदबाज थरथराता है, उसकी भी एक दिन परीक्षा हुई थी, जिसमें कोहली खड़े उतरे थे और आज पूरी दुनिया उन्हें “किंग कोहली” के नाम से जानती है।
विराट मौजूदा वक्त में रिकार्डों का पर्याय बन गए हैं, लेकिन उनके स्टार बनने के सफर में खूब बाधाएं भी आईं। विराट का क्रिकेट के प्रति जज्बा और जुनून ही था कि तमाम कठिनाइयों का उन्होंने सफलतापूर्वक सामना किया और सफलता की बुलंदियों पर विराजमान हो गए। विराट ने कितने संघर्षों से यह मुकाम हासिल किया है, यह हर कोई जानता है।
विराट कोहली के बारे में जर्नलिस्ट राजदीप सरदेसाई ने अपनी किताब डेमॉक्रेसी इलेवन में काफी कुछ जिक्र किया है। इसमें उन्होंने लिखा है कि कैसे विराट एक सीरियस क्रिकेटर के रूप में बदल गए थे। विराट अपने पापा प्रेम कोहली के काफी करीब थे। पेशे से वह क्रिमिनल लॉयर थे, जो 9 वर्षीय विराट को स्कूटर पर बिठाकर पहली दफा वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकादमी में ले गए थे।
प्रेम कोहली का निधन साल 2006 में 54 वर्ष की उम्र में ब्रेन स्ट्रोक के वजह से हो गया था। उस समय विराट केवल 18 साल के थे और दिल्ली की रणजी टीम की ओर से खेलने में व्यस्त है। खेल के पहले दिन कर्नाटक ने पहली इनिंग में 446 रन बनाए थे। दूसरे दिन दिल्ली की टीम बैकफुट पर नजर आ रही थी। पांच बल्लेबाज पवेलियन की ओर लौट गए थे। मुश्किल में पड़ी विराट एंड कंपनी के सामने अब मैच बचाने की चुनौती थी।
दिन का खेल समाप्त होने तक विराट कोहली और पुनीत बिष्ट की मदद से दिल्ली 103 रन बना सकी। कोहली 40 रन बनाकर नॉट आउट थे। लेकिन उसी रात 19 दिसंबर 2006 को कोहली के पिता प्रेम कोहली इस दुनिया से चल बसे। यह खबर ड्रेसिंग रूम तक आ गई थी। सब यही कहने लगे कि कोहली यह मैच आगे नहीं खेल सकेंगे, क्योंकि उन्हें पिताजी के अंतिम संस्कार में शरीक होना है। टीम प्रबंधन ने दूसरे खिलाड़ी को उनके स्थान पर खिलाने के लिए कह दिया था।